वृंदावन में स्थित श्री बांके बिहारी जी का मंदिर मैं जिस काले मूर्ति की पूजा होती है वो मूर्ति किसी भी प्रकार के शिल्पकार या हाथो द्वारा नही बनाई गई है,बल्कि वह मूर्ति वहा प्रकट हुई है।स्वामी हरिदास की भगवान श्री कृष्ण के लिए अपार भक्ति थी जिसके परिणाम स्वरूप श्री कृष्ण जी ने काले पत्थर के रूप मैं प्रकट हुए निधिवन में।
परिचय;इस आर्टिकल मैं आप बांके बिहारी मंदिर के बारे मैं पूरी जानकारी प्राप्त करेंगे।हमने इस आर्टिकल मैं बांके बिहारी मंदिर के बारे मैं सभी जानकारियां इकट्ठा कर के आपको देने का प्रयास किया है,आपका समय हमारे लिए कीमती है।आप इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़ें।
बांके बिहारी की सत्य घटना जानिए?
आज से कई वर्षों पहले वृंदावन मैं एक साधु जो की श्री कृष्ण के भक्ति मैं बहुत ही मग्न थे जिसमे की उन्होंने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया था,और उन्होंने श्री कृष्ण को कभी भी अपने से अलग नहीं किया और हमेशा अपने प्रभु की भक्ति करते गए जिसके परिणाम स्वरूप श्री कृष्ण जी ने उन पर खूब प्रसन्न होकर उन्हें अपने दर्शन दिए। उस महापुरुष महाज्ञानी कृष्ण जी की भक्ति करने वाले का नाम स्वामी हरिदास था।
बांके बिहारी मंदिर का रहस्य क्या है जानिए?
रहस्यों में अनेक रहस्य छुपे है बांके बिहारी मंदिर जी के जिसमे की आपको एक रहस्य शायद ही पता होगा कि बांके बिहारी जी का मंदिर साल मई सिर्फ एक बार ही उनके बांसुरी वाले श्री कृष्ण जी के दर्शन के लिए खोला जाता है।जिनका दर्शन आपको साल मई सिर्फ एक बार और सिर्फ एक बार ही दर्शन करने को मिलता है।तो यदि आप बांके बिहारी मंदिर जाते है तो आप अवश्य ही देखा हुआ पाएंगे की उनके हाथों मैं कभी भी बांसुरी नहीं होती है वह सिर्फ अपने अवतार कृष्ण स्वरूप बिना किसी बांसुरी के ही मिलेंगे।
बांके बिहारी जी के दर्शन का समय क्या है?
बांके बिहारी मंदिर के दर्शन का शेड्यूल बहुत ही आसान है जिसमे की उनके दर्शन आपको प्रातः4:30 am से लेकर के दोपहर के 12:00 pm बजे तक होता है और उसके बाद फिर 1:00 बजे से चालू होकर रात्रि के 11:00 बजे तक आप उनके दर्शन प्राप्त कर सकते है,बिना किसी रोक रुकावट के आपको वहा VIP विजिटिंग कैप्शन भी मिल जाता है,आप चाहे तो वो भी कर्बसाकते है।
प्रेम मंदिर वृंदावन टाइमिंग क्या है?
वृंदावन का सबसे मशहूर मंदिरों मैं से एक है प्रेम मंदिर जिसका की आए दिन आप अपने टीवी स्क्रीन पर,अपने मोबाइल फोन पर और भी कई स्क्रीन्स पर भी देखते है।
आज कल के दौर मैं प्रेम मंदिर ने बहुत प्रसिद्धि जुटा ली है,आपको बता दे की प्रेम मंदिर किनको ऐसी खास बाते है जो आपको वहा जाने पर,प्रभु के दर्शन करने पर मजबूर कर देगी,इसीलिए आपको यदि बांके बिहारी मंदिर दर्शन करने का समय मिलता है तो आप जरूर प्रेम मंदिर दर्शन करने अवश्य जाए।
समय सारणी
प्रेम मंदिर के दर्शन का जो समय है वह बांके बिहारी जी के मंदिर समय सारणी से एकदम मिलता है,जैसा की आपने बांके बिहारी मंदिर के समय सारणी मैं देखा की उसमे आप प्रातः 4:30 बजे से खुलता है और दोपहर के 1:00 बजे तक चलता है।2:00 बजे से पुनः चालू होकर के रात्रि 11:00 बजे तक चलता है।
बांके बिहारी मंदिर कैसे जाएं ?
बांके बिहारी जी के मंदिर के दर्शन के लिए आप विभिन्न जगहों से आ कर के दर्शन कर सकते है।
ट्रेन मार्ग
यदि आप ट्रेन द्वारा बांके बिहारी मंदिर दर्शन के लिए आना चाहते है तो आपको सबसे पहले मथुरा नामक रेलवे स्टेशन पर उतर करके वहा से अटल्ला चुंगी के लिए साधन की व्यवस्था करनी है उसके बाद आप अटल्ला चुंगी से आराम से पद यात्रा करते हुए भी मंदिर दर्शन के लिए जा सकते है।
बांके बिहारी मंदिर का इतिहास क्या है?
बांके बिहारी मंदिर का इतिहास लगभग 1900 वर्ष पुराना है।इस मंदिर की स्थापना स्वामी हरिदास जी ने निधिवन मैं बहुत ही भक्ति के साथ उनकी स्थापना की थी।परंतु उस मंदिर का निर्माण कार्य उस समय के अनुसार भूत अच्छे ढंग से नहीं हुआ जो की बाद मैं चलकर उसका निर्माण कार्य फिर से करवा के उसे ढंग से बनाया गया।
आप राधा कृष्ण की मूर्ति को देख करके मनमुग्ध हो जाते है परंतु जब आप बांके जी बिहारी जी का मंदिर देखते है तो आप उनकी मूर्ति को देखकर के उनकी भक्ति के रस मैं खो जायेंगे इसीलिए वहा के पुजारियों द्वारा बार बार पर्दा लगा दिया जाता है।इसीलिए बांके जी बिहारी जी मंदिर के आधे मूर्ति पर राधा का श्रृंगार करते है और आधे मूर्ति पर j
क्या बांके बिहारी मंदिर ही जन्मस्थल है कृष्ण जी का?
नही,बांके बिहारी यानी हमारे ठाकुर जी श्री कृष्ण जी है जिनका की जन्म स्थल कंश के कारागार मैं हुआ था जो की आज भी हमारे भारत देश के उत्तर प्रदेश राज्य के मथुरा जैसे पवन शहर मैं स्तिथित है।आज से तकरीबन सात हजार वर्ष पहले वहा मल्लपुर नामक कंश की कालकोठरी हुआ करती थी।जिसमे की हमारी मैया देवकी जीने अपने गर्भ से प्रभु श्री कृष्ण जी को जन्म दिया था।
बांके बिहारी मंदिर कृष्ण जी का स्वरूप है जो की निधिवन के घनघोर जंगलों से स्वामी हरिदास जी की कठिन भक्ति के बाद उनको दर्शन प्राप्त हुए।जिस स्वरूप यानी काले मुरली वाले हमारे बांके बिहारी जी है वो हरिदास जी के महान भक्ति का असीम कृपा है।
क्या आप कभी वृंदावन मैं स्थित बांके बिहारी मंदिर जी कभी गए है? अगर हां तो अपना फीडबैक जरूर हमारे दर्शकों के साथ भी दे
Conclusion: इस आर्टिकल मैं हमने बनारस में स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर की सुंदरता और इतिहास को उजागर करने का प्रयास किया है।
Sitaram Pandey is a content writer,writing blogs on our Dharma Sanatan Dharma.