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Hartalika Teej 2025: व्रत कथा, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, नियम और महत्व

HARTALIKA TEEJ

परिचय:हरतालिका तीज हिन्दू धर्म का एक अत्यंत पावन और शुभ व्रत है। यह व्रत खासकर सुहागिन और अविवाहित महिलाएँ करती हैं। सुहागिन स्त्रियाँ अपने पति की लंबी आयु और अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं, वहीं अविवाहित कन्याएँ अच्छे और योग्य वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत रखती हैं।(HARTALIKA TEEJ)

हिन्दू धर्म में व्रत और त्योहार केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक पद्धति हैं। ये त्योहार हमें संयम, श्रद्धा और भक्ति का महत्व सिखाते हैं।
इन्हीं पर्वों में एक है हरतालिका तीज,(HARTALIKA TEEJ) जो खासतौर पर महिलाओं का प्रमुख व्रत माना जाता है।यह व्रत भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को आता है और इसका मुख्य उद्देश्य है — अखंड सौभाग्य, दाम्पत्य सुख और उत्तम पति की प्राप्ति2025 में यह व्रत 26 अगस्त, मंगलवार को मनाया जाएगा।(HARTALIKA TEEJ)

इस दिन स्त्रियाँ माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा कर अखंड सौभाग्य, दाम्पत्य सुख और मनचाहे पति की प्राप्ति की कामना करती हैं।
हरतालिका तीज उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड और नेपाल में बड़े धूमधाम से मनाई जाती है।

इस व्रत का महत्व इतना अधिक है कि इसे स्त्रियों का सबसे बड़ा सौभाग्यदायक व्रत कहा गया है।(HARTALIKA TEEJ)

हरतालिका तीज का नाम क्यों पड़ा?

  • हरतालिका शब्द दो भागों से बना है:

    • हरित = अपहरण

    • आलिका = सखी (सहेली)

हरतालिका तीज व्रत कथा (विस्तार से)

बहुत समय पहले हिमालय पर्वत की पुत्री पार्वती अपने बचपन से ही भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करना चाहती थीं। वे दिन-रात शिवजी का ध्यान करतीं। जब वे युवावस्था में पहुँचीं तो उनके पिता ने उनका विवाह विष्णु भगवान से तय कर दिया।

पार्वती जी ने यह सुना तो वे व्याकुल हो उठीं। उन्होंने अपनी सखी से कहा – “मैं तो शिवजी को ही पति के रूप में चाहती हूँ। यदि मेरा विवाह किसी और से हुआ तो मैं प्राण त्याग दूँगी।”(HARTALIKA TEEJ)
यह सुनकर उनकी सखी ने उनका हरित (अपहरण) कर लिया और उन्हें घने वन में ले गई।(HARTALIKA TEEJ)

वहाँ पार्वती जी ने कठोर तप किया — कई दिनों तक भोजन और जल तक नहीं लिया। वे केवल शिवजी का ध्यान करती रहीं।
आख़िरकार उनकी तपस्या से भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्होंने पार्वती जी को वरदान दिया कि वे उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार करेंगे।

यही घटना हरतालिका तीज के रूप में प्रचलित हुई। इस दिन स्त्रियाँ माता पार्वती के कठोर तप का स्मरण कर उपवास रखती हैं और अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं।(HARTALIKA TEEJ)

🙏 पूजन विधि

HARTALIKA TEEJ

हरतालिका तीज की पूजा विधि अत्यंत विशेष मानी जाती है। पूजा इस प्रकार की जाती है:(HARTALIKA TEEJ)

🌅 प्रातः काल की तैयारी

  1. प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

  2. व्रत का संकल्प लें — “मैं माता पार्वती की तरह अखंड सौभाग्य की कामना हेतु हरितालिका तीज व्रत कर रही हूँ।”

🌼 पूजा स्थल की सजावट

  • भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की प्रतिमा/चित्र स्थापित करें।

  • कलश में गंगाजल भरें और नारियल व आम्रपत्र से सजाएँ।

  • मंडप सजाकर चौकी पर मूर्तियों को रखें।

  • गणेश जी की पूजा कर विघ्नों को दूर करें।

  • भगवान शिव और माता पार्वती का पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शुद्ध जल) से अभिषेक करें।

  • चंदन, अक्षत, सिंदूर, पुष्प और बिल्वपत्र अर्पित करें।

  • फल, मिठाई और विशेष पकवान (पूरी, हलवा, कचौरी) अर्पित करें।

  • हरतालिका तीज की कथा का श्रवण करें।

  • अंत में आरती करें और व्रत की समाप्ति अगले दिन प्रातः जल ग्रहण करके करें।(HARTALIKA TEEJ)

🕉️ हरतालिका तीज 2025 शुभ मुहूर्त

  • तृतीया तिथि प्रारंभ: 25 अगस्त 2025 (सोमवार) रात 10:30 बजे

  • तृतीया तिथि समाप्त: 26 अगस्त 2025 (मंगलवार) रात 08:10 बजे

  • पूजन का श्रेष्ठ समय: 26 अगस्त सुबह 07:00 बजे से 09:30 बजे तक

✅ हरतालिका तीज व्रत के नियम

HARTALIKA TEEJ

करना चाहिए (Do’s)
  • पूरे श्रद्धा भाव से व्रत रखें।

  • शिव-पार्वती का पूजन करें।

  • कथा और आरती अवश्य करें।

  • विवाहित महिलाएँ पति की लंबी उम्र की कामना करें।

  • कन्याएँ योग्य वर की प्राप्ति हेतु व्रत करें।

नहीं करना चाहिए (Don’ts)
  • व्रत के दिन झूठ न बोलें, गुस्सा न करें।

  • प्याज, लहसुन, मांस और मदिरा का सेवन वर्जित है।

  • व्रतधारी को जल तक नहीं पीना चाहिए (यदि स्वास्थ्य अनुमति न दे तो फलाहार ले सकते हैं)।

  • दूसरों का अपमान या निंदा न करें।

हरतालिका तीज व्रत का महत्व ?

  1. यह व्रत विवाहिक जीवन को सुखमय बनाता है।

  2. इस व्रत से अखंड सौभाग्य प्राप्त होता है।
  3. इससे पति की दीर्घायु और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
  4. अविवाहित कन्याएँ इस व्रत से योग्य पति पाती हैं।

  5. कहा जाता है कि इस दिन किया गया व्रत और पूजा सहस्र गौदान और अश्वमेध यज्ञ के समान फल देता है।

  6. यह व्रत स्त्रियों को आध्यात्मिक शक्ति और धैर्य प्रदान करता है।

  7. अविवाहित कन्याएँ इच्छित वर प्राप्त करती हैं।

  8. यह व्रत स्त्रियों में धैर्य, समर्पण और निष्ठा का भाव जगाता है।

🎉 हरतालिका तीज की खास परंपराएँ

  • महिलाएँ इस दिन सुंदर परिधान और सोलह श्रृंगार करती हैं।

  • घर-घर में मिट्टी की मूर्तियाँ बनाकर पूजन की परंपरा है।

  • लोक गीत और तीज के विशेष गीत गाए जाते हैं।

  • महिलाएँ एक-दूसरे को मेहंदी, श्रृंगार सामग्री और तीज की सखियाँ (गिफ्ट्स) देती हैं।

हरतालिका तीज व्रत कथा (पूर्ण रूप में)

एक समय की बात है। हिमवान ने यह निश्चय किया कि वे अपनी पुत्री पार्वती का विवाह भगवान विष्णु से करेंगे। जब यह बात पार्वती जी को पता चली तो वे बहुत दुखी हो गईं।(HARTALIKA TEEJ)

वे अपनी सखियों के साथ घने जंगल में चली गईं। वहाँ जाकर उन्होंने कठोर तपस्या शुरू की। वे न तो जल पीतीं और न ही अन्न ग्रहण करतीं। दिन-रात वे केवल भगवान शिव का ध्यान करतीं।(HARTALIKA TEEJ)

कई वर्षों तक तपस्या करने के बाद, अंततः भगवान शिव उनकी भक्ति से प्रसन्न हुए। उन्होंने माता पार्वती को दर्शन दिए और कहा –
“हे देवी! तुम्हारी तपस्या और अटूट श्रद्धा से मैं प्रसन्न हूँ। आज से तुम मेरी अर्धांगिनी बनोगी।”

इसके बाद माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ। इस घटना की स्मृति में ही भाद्रपद शुक्ल तृतीया को हरतालिका तीज व्रत रखा जाता है।(HARTALIKA TEEJ)

हरतालिका तीज का वैज्ञानिक महत्व

  • उपवास से शरीर की डिटॉक्सिफिकेशन होती है।

  • रातभर जागरण करने से मानसिक शक्ति और एकाग्रता बढ़ती है।

  • पारंपरिक गीत और पूजा से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।

🕉️ हरतालिका तीज व्रत की आरती

शिव जी की आरती:

ॐ जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥(HARTALIKA TEEJ)

🕉️ हरितालिका तीज मंत्र

  • ॐ पार्वत्यै नमः

  • ॐ नमः शिवाय

  • ॐ उमामहेश्वराय नमः

हरितालिका तीज से जुड़े सामान्य प्रश्न (FAQ)

👉 विवाहित महिलाएँ, अविवाहित कन्याएँ इसे पुरुषो के लिए भी इसे श्रद्धा से कर सकते हैं।

 

👉 परंपरा अनुसार यह निर्जला व्रत है, लेकिन यदि स्वास्थ्य अनुमति न दे तो फलाहार ले सकते हैं।

👉 माता पार्वती ने जिस तरह भगवान शिव को पति रूप में पाया, उसी प्रकार योग्य पति की प्राप्ति हेतु लड़कियाँ व्रत करती हैं।

 

👉 अगले दिन प्रातःकाल पूजन करके जल ग्रहण कर व्रत का समापन करें।

आधुनिक समय में हरितालिका तीज का महत्व

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में यह व्रत केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आध्यात्मिक शक्ति और मानसिक शांति प्रदान करता है।(HARTALIKA TEEJ)

  • यह महिलाओं को अपने जीवनसाथी के साथ रिश्ते की मजबूती का एहसास कराता है।
  • अविवाहित कन्याओं को यह व्रत आत्मविश्वास और संयम की शिक्षा देता है।
  • परिवार में एकता, प्रेम और धार्मिक वातावरण बढ़ता है

✨ निष्कर्ष:

हरितालिका तीज केवल परंपरा नहीं बल्कि भक्ति, विश्वास और समर्पण का प्रतीक है।
माता पार्वती की तरह निष्ठापूर्वक किया गया यह व्रत जीवन में सुख-शांति, अखंड सौभाग्य और इच्छित वरदान प्रदान करता है।

इसलिए चाहे विवाहित हों या अविवाहित, हर महिला को श्रद्धा और भक्ति के साथ इस व्रत का पालन करना चाहिए।(HARTALIKA TEEJ)

हरतालिका तीज का व्रत केवल धार्मिक ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
यह व्रत महिलाओं को न सिर्फ़ अखंड सौभाग्य प्रदान करता है बल्कि उन्हें मानसिक शक्ति और विश्वास भी देता है।(HARTALIKA TEEJ)

हर साल लाखों स्त्रियाँ यह व्रत करती हैं और भगवान शिव-पार्वती से अपने वैवाहिक जीवन के सुख और समृद्धि की प्रार्थना करती हैं।

⚠️ अस्वीकरण

इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं।
सियाराम पूजन यहां इस लेख में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है।
इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न ज्योतिषियों, पंचांगों, प्रवचनों, मान्यताओं, धर्मग्रंथों और दंतकथाओं से संग्रहित की गई है।
पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें।
सियाराम पूजन अंधविश्वास के खिलाफ है।
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