Achyutam Keshavam Krishna Damodaram Krishna Bhajan
अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी बल्लभम ।
कौन कहता हे भगवान आते नहीं,
तुम मीरा के जैसे बुलाते नहीं ।
अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी बल्लभम ।
कौन कहता है भगवान खाते नहीं,
बेर शबरी के जैसे खिलाते नहीं ।
अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी बल्लभम ।
कौन कहता है भगवान सोते नहीं,
माँ यशोदा के जैसे सुलाते नहीं ।
अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी बल्लभम ।
कौन कहता है भगवान नाचते नहीं,
गोपियों की तरह तुम नचाते नहीं ।
अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी बल्लभम ।
नाम जपते चलो काम करते चलो,
हर समय कृष्ण का ध्यान करते चलो ।
अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी बल्लभम ।
याद आएगी उनको कभी ना कभी,
कृष्ण दर्शन तो देंगे कभी ना कभी ।
अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी बल्लभम ।
Achyutam Keshavam Krishna Damodaram|Krishna Bhajan English Lyrics

Krishna Bhajan
Achyutam Keshavam Krishna Damodaram
Rama naraynam Janaki vallabham
Kaun kehta hai Bhagvan aate nahi
Tum Meera ke jaise bulate nahi
Achyutam Keshavam Krishna Damodaram
Rama naraynam Janakivallabham
Kaun kehta hai Bhagvan khaate nahi
Ber Shabri ke jaise khilate nahi
Achyutam Keshavam Krishna Damodaram
Rama naraynam Janaki vallabham
Kaun kehta hai Bhagvan Sote nahi
Maa Yashoda ke jaise sulate nahin
Achyutam Keshavam Krishna Damodaram
Rama naraynam Janaki vallabham
Kaun kehta hai Bhagvan Nachthe nahi
Gopiyo ki tarah tum Nachathae nahi
Achyutam Keshavam Krishna Damodaram,
Rama naraynam Janaki vallabham,
Naam Japate chalo kaam karte chalo
Har samay Krishna ka dhyaan karte chalo
Achyutam Keshavam Krishna Damodaram,
Rama naraynam Janaki vallabham,
Yaad aayegi unko kabhi na kabhi
Krishan darshan to denge kabhi na kabhi
Achyutam Keshavam Krishna Damodaram
Rama naraynam Janaki vallabham
श्री कृष्णा, भारतीय सांस्कृतिक
श्री कृष्णा, भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक धारा का एक महत्वपूर्ण और प्रिय चरित्र है। उन्हें ‘गोकुलनंदन’ और ‘यशोदानंदन’ के रूप में भी जाना जाता है, जो कि उनके बचपन के किस्सों का अभिन्न हिस्सा हैं। उन्होंने महाभारत के युद्ध में अर्जुन को भगवद गीता का उपदेश दिया और उनका यह उपदेश आज भी मानव जीवन के लिए मार्गदर्शन का काम करता है।
महाभारत काल
श्री कृष्णा का जन्म महाभारत काल में हुआ था, और उनके जन्म के समय और स्थान का विशेष महत्त्व है। उन्होंने माता यशोदा के घर में वृद्धि पाई, जहां उनके बचपन के कई मनोरंजक किस्से हुए। उनका बचपन गोपियों के साथ मधुर लीलाओं से भरा था, जिसमें माखन चोरी करना, गोपियों के साथ रास लीला आदि शामिल था।
असुर का वध
कृष्णा का युवावस्था कांस नामक असुर का वध करने में बीती, जिससे उनका नाम “कांस-वधारी” भी प्रसिद्ध है। उनका संदेश धर्म और न्याय की ओर हमेशा रहा है। उनकी विद्वता, बुद्धिमत्ता और धर्म के प्रति समर्पण ने लोगों के मन में एक अद्वितीय स्थान बनाया।
मोक्ष के विषय में उच्च बोध
श्री कृष्णा के बारे में अधिक जानने के लिए, हमें महाभारत के युद्ध की कथा में ध्यान देना चाहिए, जहां उन्होंने अर्जुन को अपने धर्म का पालन करने की प्रेरणा दी। भगवद गीता में श्री कृष्णा ने अर्जुन को धर्म, कर्म और मोक्ष के विषय में उच्च बोध दिया।
कृष्णा के चरित्र
कृष्णा के चरित्र में वे एक सर्वशक्तिमान और सर्वव्यापी ईश्वर के रूप में भी पूज्य हैं। उन्होंने अनेकों लीलाएं और चमत्कारिक कार्य किए, जो कि उनके दिव्य और अद्भुत स्वभाव का प्रतिबिम्ब हैं।
कृष्णा की लीलाएं
श्री कृष्णा की लीलाएं और उनका संदेश आज भी हमें धर्म, कर्म और मोक्ष के मार्ग पर मार्गदर्शन करते हैं। उनका संदेश विचारशीलता, समर्पण, और प्रेम के माध्यम से हमें आत्मज्ञान और आत्मसाक्षात्कार की ओर ले जाता है। उनका जीवन और संदेश हमें धर्म, शांति, और प्रेम की महत्ता को समझाते हैं।
जीवन में न्याय की सच्चाई
श्री कृष्णा का जीवन और कार्य हमें ध्यान में रखते हुए, हम भी अपने जीवन में न्याय, सच्चाई, और प्रेम को अपनाने का प्रयास कर सकते हैं। उनका संदेश हमें समाज में शांति, सौहार्द, और समरसता की ओर ले जाता है। इसलिए, श्री कृष्णा का चरित्र हमें नैतिकता और धार्मिकता के मार्ग पर चलने का मार्गदर्शन करता है।
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