Premanand Ji Maharaj:प्रेमानंद महाराज जी वृंदावन में काफी प्रसिद्ध है वह बाल्यावस्था से ही राधा नाम का जाप कर दे आ रहे हैं और अधिक नीचे पढ़िए।
प्रेमानंद जी का जीवन परिचय?
राधा रानी जी का अद्भुत नाम को जप करने वाले सदा हमारे महाराज श्री प्रेमानंद जी महाराज जो की वृंदावन में रहते हैं वहीं के निवासी हैं और वहां पर वह राधा रानी का नाम सदैव जपते रहते हैं। बता दें कि वृंदावन में स्थित रमन रेती मार्ग में जब आप राधा निकुंज आश्रम को देखेंगे तो वहीं पर हमारे महाराज स्वामी प्रेमानंद जी लगभग कई वर्ष वहां पर बीते।
प्रेमानंद जी महाराज वृंदावन में तकरीबन 30 वर्षों से लगभग रह रहे हैं और शुरू से ही उन्होंने राधा नाम का भजन किया बाल्यावस्था से ही ब्रह्मचर्य को पालन किया और राधा नाम की भक्ति में लीन हो गए।
राधा नाम के प्रेमी क्यों जपते हैं राधा नाम?

Premanand Ji Maharaj-कहते हैं कि हमारे विष्णु अवतार प्रभु श्री कृष्णा हो चाहे प्रभु श्री राम हो जब भी हमारे प्रभु का नाम लिया जाता है तो पहले माता सीता अथवा माता राधा जी का नाम लिया जाता है जब हम कहते हैं सीताराम राधा कृष्ण तो हमारी पूज्य मां का नाम पहले आता है। कहते हैं अगर आप राम को भेज रहे हैं तो 10000 बार अगर आप राम का नाम लेते हैं तो वह एक बार सीता नाम खाने के बराबर होता है।
इस तरह हमारे प्रभु श्री कृष्ण का 10000 बार नाम जपने से प्रभु माता राधा जी का एक बार नाम बराबर होता है इसीलिए प्रेमानंद जी के मुख से आपने बहुत बार सुना होगा राधा राधा राधा राधा राधा वह राधा नाम प्रेमी है बाल्यावस्था से ही उन्होंने राधा नाम का जप प्रारंभ किया और उनकी अवस्था कुछ ऐसी बिगड़ी भी परंतु उन्हें राधा नाम ने ऐसा जागृत कर दिया और वह आज इस पर उसे नाम को हमेशा जपते रहते हैं।
वृंदावन के रमणेरती मार्ग पर राधा निकुंज आश्रम में रहने वाले स्वामी प्रेमानंद की उम्र लगभग 60 वर्ष बताई जाती है। वह तकरीबन तीन दशक से वृंदावन में ही रहते हैं। स्वामी का जन्म कानपुर के सरसौल ब्लॉक के अखरी गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। पिता शंभु पांडेय और माता रमा देवी ने उनका नाम रखा अनिरुद्ध पांडेय।
Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज क्यों प्रसिद्ध है?
प्रेमानंद जी महाराज हमारे राधा रानी के परम भक्त जोकि वृंदावन में राधा नाम को खूब फैला रहे हैं और राधा नाम का जो बोलबाला है वह पूरे भारतवर्ष में उसकी लालिमा को उजागर कर रहे हैं वह पूरे विश्व पूरे भारत देश में प्रेम प्रेम और आध्यात्मिक की ओर हमारे आज की युवा पीढ़ी को ले जाना चाह रहे हैं वह हमारे आज की जो युवा पीढ़ी है उनको आज की जीवन की सच्चाइयों से रूबरू कर रहे हैं।
प्रेमानंद जी द्वारा भजन सत्संग सुनने के लिए लोग बड़ी दूर-दूर से आते हैं और उनके दर्शन पाए हैं और हमारे प्रेमानंद महाराज जी वृंदावन के महाराज जी के नाम से भी खूब प्रसिद्ध हैं और वह राधा नाम का जब सदैव करते रहते हैं और दूसरों को भी प्रेरित करते रहते हैं कि वह सही मार्ग पर चलें और सही दिशा में अपना जो जीवन है उसको आगे बढ़ाएं।
प्रेमानंद महाराज जी का असली नाम क्या है?

Premanand Ji Maharaj-हमारे वृंदावन में प्रसिद्ध प्रेमानंद जी महाराज का जो असली नाम है वह अन्य अनिरुद्ध कुमार पांडे था। बता दें कि महाराज श्री का जो जन्म हुआ वह उत्तर प्रदेश नमक राज्य में हुआ और कानपुर शहर के सरसौल ब्लॉक के आखिरी गांव में एक ब्राह्मण परिवार में उन्होंने जन्म लिया था उनका बचपन से ही भक्ति में माहौल मिला था।
बता दें कि उनकी जो शिक्षा थी वह उन्होंने 5 क्लास तक ली और उसके बाद ही उन्होंने गीता का पाठ शुरू कर दिया और वह अपनी जो गुरु है उनकी सेवा में लीन हो गए और उन्होंने उनकी सेवा तकरीबन 10 साल तक की और बता दे कि वह अपना पूरा जीवन उसे समय से लेकर अब तक और आगे तक भी प्रभु श्री कृष्णा और राधा रानी के चरणों में अपना जीवन समर्पित कर दिया।
प्रेमानंद जी महाराज जो हैं वह स्वामी आनंद से स्वामी प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज के रूप में स्थापित हुए।
Premanand Ji Maharaj :स्वामी प्रेमानंद जी के गुरु कौन है?

Premanand Ji Maharaj-वृंदावन में स्थित स्वामी प्रेमानंद जी जो हैं उनके गुरु के बारे में आजकल बड़ी चर्चा है बता दें कि प्रेमानंद जी महाराज के जो गुरु हैं उनका नाम गौरंगी शरण बाबा है जिन्होंने स्वामी प्रेमानंद जी को शिक्षा दीक्षा दिलवाई और उन्हें राधा वल्लभ संप्रदाय में दीक्षित किया उन्होंने लंबा समय गुरु की सेवा और उनसे राधा कृष्ण के भाव को जानने में बिताया।
बता दें कि आज भी प्रत्येक गुरुवार को हमारे प्रेमानंद जी महाराज अपने गुरु जी के दर्शन करने हमेशा जाते हैं और उनके चरण का स्पर्श कर करके आशीर्वाद लेते हैं अपने गुरु गौरंगी शरण जी से मिलने वह जरूर जाते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त कर कर के ही वह बहुत ही खुश होते हैं।
बता दे की प्रेमानंद जी महाराज जी के जो इस समय गुरुजी हैं उनका नाम श्री हित मोहित मराल जी है.
प्रेमानंद जी को गुरु कैसे बनाएं?
Premanand Ji Maharaj- प्रेमानंद जी महाराज जी से अगर आप गुरु दीक्षा लेना चाहते हैं तो सर्वप्रथम आपको वृंदावन जाकर के उनके आश्रम में उनके जो सहकर्मी है उनको यह सूचित कर करके वहां अपना नाम दर्ज कर करके और वहां पर जो भी प्रक्रिया है उसको समझ कर करके और वहां पर अपना जो आवेदन है वह दे देना है और जिस दिन वह आपको गुरु दीक्षा के लिए बुलाया वहां पर जाकर के महाराज श्री से जाकर के अपनी गुरु दीक्षा को प्राप्त कर लेना है और उनके पास कुछ समय विताकर करके और जीवन में आने वाली कठिनाइयों का सामना कैसे हंसते-हंसते करना है ऐसी कुछ बातें अपने गुरु यानी प्रेमानंद द्वारा जी से समझे।
प्रेमानंद जी को वृंदावन महाराज क्यों कहते हैं?
Premanand Ji Maharaj-प्रेमानंद महाराज की बाल्यावस्था से ही वृंदावन की रमन रेती मार्ग में हमेशा वह परिक्रमा और आध्यात्मिक की ओर उनका जो शुरू से ही जुड़ाव रहा है और प्रेम भाव संतों के प्रति प्रेम और सच्ची भावना जो रही है और वृंदावन में वह तकरीबन 60 वर्षों से वही है और धीरे-धीरे उनकी प्रसिद्धि लोगों में होने लगी।
उनकी जो यह संत भावना है उनकी जो यह आगे हमारे जो की युवा पीढ़ी है उनको सही दिशा बताना धीरे-धीरे आज हमारे सोशल मीडिया द्वारा वह धीरे-धीरे प्रसिद्ध हो रहे हैं और उनकी जो यह सच्ची प्रेम है जो सच्चा प्रेम है उनका वह उनको और जागृत कर रहा है उजागर कर रहा है उनके भजन भक्तों को बहुत प्यारे लगते हैं जिनकी प्रसिद्ध खूब दूर-दूर तक है। और शायद मैं कहता हूं कि इसीलिए उनको वृंदावन में प्रसिद्ध महाराज जी भी कहते हैं।
प्रेमानंद जी का जन्म कब हुआ?

Premanand Ji Maharaj-बता दें कि महाराज श्री का जो जन्म हुआ वह उत्तर प्रदेश नमक राज्य में हुआ और कानपुर शहर के सरसौल ब्लॉक के आखिरी गांव में एक ब्राह्मण परिवार में उन्होंने जन्म लिया था उनका बचपन से ही भक्ति में माहौल मिला था।
इसलिए उनका रहन-सहन बहुत ही भक्ति भाव में हुआ और उनके जो संघ साथी जो संतों के साथ थी जिसमें कि उन्होंने आध्यात्मिक और प्रेम की खूब अच्छी सी प्रतिमा अपने अंदर बसा ली थी जिस वजह से उनकी जो यह प्रेम के ऊपर आध्यात्मिक के ऊपर अपने आराध्य प्रभु श्री कृष्ण राधा कृष्ण के और जो उनका प्रेम है वह और उजागर होता चला गया।
मैं प्रेमानंद जी से वृंदावन में कैसे मिल सकता हूं?
प्रेमानंद महाराज जी जो वृंदावन में रहते हैं वहां आश्रम में रहते हैं जहां का की पता है शांत श्री हित राधा केली कुंज आश्रम में वह रहते हैं आप वहां जाकर करके अधिक जानकारी ले सकते हैं वृंदावन में अगर आप इस आश्रम के पास जाते हैं तो वहां ही आपको श्री प्रेमानंद जी महाराज मिलते हैं उनके शिष्य मिलते हैं उनके भक्तों से भेंट कर सकते हैं आप और उनसे भी जाकर करके भेंट कर सकते हैं।
Premanand Ji Maharaj:प्रेमानंद जी के पिता का नाम क्या है?
संत श्री प्रेमानंद जी महाराज के जो पिताजी का नाम है वह श्री शंभू पांडे जी और माता जी का जो नाम है वह श्रीमती रामादेवी है प्रेमानंद जी महाराज का जो जन्म हुआ वह कानपुर के सरसों के आखिरी गांव में हुआ था उनका बचपन का नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे था।
राधा नाम का भजन क्यों करते हैं महाराज जी?

Premanand Ji Maharaj-संत प्रेमानंद जी महाराज जो हैं वह अपनी बाल्यावस्था से ही राधा नाम का भजन कर रहे हैं राधा नाम की भक्ति में वह ली है उन्होंने अपना जो जीवन है वह भगवान श्री कृष्णा और राधा जी के लिए समर्पित कर दिया है और गुरु दीक्षा लेने के बाद वह राधा नाम को और फैला रहे हैं और जागृत और उजागर कर रहे हैं बता दें कि उनके पास जो भक्त आते हैं उनसे दीक्षा लेते हैं और वह भी राधा नाम का भजन करते हैं जाप करते हैं।
प्रेमानंद जी के गुरु कौन हैं?
बता दे की प्रेमानंद जी महाराज जी के जो इस समय गुरुजी हैं उनका नाम श्री हित मोहित मराल जी है. जींस की प्रेमानंद जी महाराज सदैव भेंट करते रहते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए जाते रहते हैं बता दे कि यह गुरु के लिए ऐसा प्रेम शायद ही हमने कहीं देखा होगा जैसा कि प्रेमानंद जी महाराज अपने गुरु को प्रेम कर रहे हैं।
प्रेमानंद जी की किडनी कब से खराब है?
Premanand Ji Maharaj-प्रेमानंद महाराज जी की जो किडनी है दोनों ही की दुनिया खराब है और डॉक्टर द्वारा ऑपरेशन भी किया जा चुका है और बताते हैं वह की कई वर्षों से उन्हें सिर्फ राधा नाम जपने से उन्हें यह इतना लाभ है कि आज उनकी दोनों किडनी खराब हैं पर तब भी वह सिर्फ राधा नाम सहारे पर ही चल रहे हैं
और आज उनका हम देख सकते हैं कि उनका चेहरा मुस्कुराता हुआ है उनकी वह चेहरे पर लालिमा मुस्कुराती हुई है और यह ऐसा दृश्य यह इसका प्रतीक है कि हम अगर प्रभु की भक्ति भाव लेने हो जाए तो हमें फिर जीवन का कष्ट कुछ नहीं है हम सिर्फ और सिर्फ प्रभु के हो जाते हैं और फिर प्रभु हमारे चलाते हैं।
Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी की उम्र कितनी है?
प्रेमानंद महाराज जी की जो उम्र है वह तकरीबन 60 वर्ष के आसपास है। वह बाल्यावस्था से ही राधा नाम जप करते-करते भक्ति भाव में उनके ली हैं और कई वर्षों से अपने प्रभु आराध्य श्री राधा रानी के चरणों में उन्होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया।
Premanand Ji Maharaj:प्रेमानंद जी का गांव कौन सा है?

प्रेमानंद जी महाराज जी का जो जन्म हुआ है वह भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित कानपुर शहर के एक आखिरी गांव के कार्सल जिले में हुआ है और उनका जो जन्म है वह एक ब्राह्मण परिवार में हुआ है।
Premanand Ji Maharaj:प्रेमानंद जी की जीवन जीने की अवधारणाएं?
प्रेमानंद जी की जीवन की जो अवधारणाएं हैं वह कहती हैं कि हम अपने जीवन में इस माया रूपी जल में फंस कर करके जीवन जीते हैं परंतु यह जीवन का सार्थक रूप नहीं है जीवन में जब तक हमारे हमारा प्रभु हमारे साथ ना हो तब तक हमारे जीवन सफल नहीं है और हमारे जीवन का एक मार्ग होना चाहिए जिसमें कि हम प्रभु भक्ति में हो प्रभु भक्ति में लीन हो हम सिर्फ और सिर्फ माया जाल में फंस कर करके ही अपना जीवन ना काट दें अपने प्रभु के और अपना जीवन समर्पित कर दें कम से कम।
अगर आज की इस युग में हम अपने जीवन को प्रभु के चरणों में समर्पित करते हैं अपने कर के साथ अपने प्रभु का स्मरण भी सदैव करते हैं तो इससे हमारे प्रभु भी हमेशा हमारे साथ रहते हैं और शांति और प्रेम का भावना हमारे घर में सदा बना रहता है।
प्रेमानंद जी सुबह कितने बजे परिक्रमा के लिए जाते हैं?

Premanand Ji Maharaj-प्रेमानंद जी महाराज जो हैं वह प्रतिदिन रात्रि 2:00 बजे के मध्य आश्रम से निकलकर करके वृंदावन की परिक्रमा करते हैं और राधा नाम का जाप करते हैं राधा नाम का भजन करते हुए अपने संग साथियों के साथ परिक्रमा करते हैं वृंदावन की और 4:30 से 5:30 के बीच में वह अपने साथियों भक्तों के साथ फिर से राधा नाम का भजन करते हैं और राधा नाम का स्मरण करते हैं बांके बिहारी जी का स्मरण करते हैं राधा नाम को पूजते हैं रोज प्रतिदिन उन्हें परिक्रमा करने के लिए जाना होता है और प्रभु राधा नाम को सदैव स्मरण करते रहते हैं।